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उच्च शिक्षा के लिए बिहार से छात्रों का पलायन : कारण एवं समाधान

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यह आलेख बिहार से बाहर अध्ययन कर रहे छात्रों के वस्तुगत परीक्षण पर आधारित है। इस अध्ययन में न केवल इस बात की पड़ताल की गई है कि उच्च शिक्षा के लिए पलायित बिहा...

शैक्षिक प्रक्रिया में सुधार के नाम पर असंवैधानिक आदेश, दमन और निजीकरण

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बिहार में एक साथ 25 लाख बच्चों का नाम स्कूल से काट दिया गया है और शिक्षक संघों को अमान्य करार देकर शिक्षकों के बोलने तक पर पाबंदी लगा दी गयी है। आजाद भारत की...

खादी: भारत की शान और पहचान

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स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करते हुए गाँधी दो उद्देश्यों पर काम कर रहे थे। एक था अंग्रेजों को दुर्बल बना देना और दूसरा था देशवासियों को आत्मनिर्भर बनाना। गा...

बरगद कभी नहीं मरता

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पुराने लोग कहते हैं कि उन्होंने पुरखों से सुना है कि पहले भी बरगद एक बार इसी तरह झुक गया था, मानो कमर टूट गयी हो। उस समय भी इसी तरह बाढ़ और तूफ़ान ने एक ही स...

हमास और इज़राइल के बीच का ताज़ा संघर्ष तथा गाजा में मानवीय संकट

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7 दिसंबर, शनिवार को हमास द्वारा इज़राइल पर हुए अचानक हमले और उसके बाद इज़राइल द्वारा बदले की धमकी के बाद गाजा पट्टी के रिहायशी एवं हमास के ठिकानों पर हो रही ...

नारी शक्ति वंदन विधेयक : महिलाओं के लिये ख़ुशख़बरी लेकिन————

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संसद के पाँच दिवसीय विशेष सत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से छह महीने पहले संसद में महिला आरक्षण बिल जिसे नारी शक्त...

प्रोफेसर के पद पर प्रवचनकर्ता की नियुक्ति के मायने

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अकादमिक क्षेत्र से बाहर के व्यक्तियों को भी औपचारिक शिक्षा के दायरे में लाने की अनुशंसा की थी। इस नीति में राष्ट्रवाद, संस्कृति, पर...

कुपोषित शिक्षा की पीठ पर ‘शक्तिमान’ की सवारी का अभिप्राय

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यह लेख बिहार में वर्तमान निरीक्षण प्रणाली के संदर्भ में लिखा गया है। इसमें दिखाया गया है कि नवउदारवादी आचरण के अनुकूल ही फ़िल्मी धूम-धड़ाके की निरीक्षण प्रणा...

शिक्षा नीति 2020 और रोजगार की अवधारणा

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यह लेख ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन के पटना जिला सम्मेलन में दिये गये भाषण का लेखान्तरण है। भारत ऐतिहासिक रूप से भीषण बेरोजगारी और असमानता के दौर से गुजर रहा ह...

सामाजिक न्याय का वर्तमान संदर्भ

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एक विचारधारा के रूप में सामाजिक न्याय सभी इंसानों को समान मानने के सिद्धान्त पर कार्य करता है। इसके अनुसार मनुष्य-मनुष्य के बीच सामाजिक स्थिति के आधार पर किस...

बिहार की स्कूली शिक्षा : नीति और नीयत पर सवाल

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प्रस्तुत आलेख में तर्कपूर्ण ढंग से यह निष्पादित किया गया है कि वित्तीय अभाव का रोना रोकर सरकार ने शिक्षकों के बीच संवर्गीय विषमता उत्पन्न कर दी। चहारदीवारी क...

शिक्षकों के संवर्ग और सामाजिक समानता का सवाल

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यह आलेख बिहार शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2023 के संदर्भ में लिखा गया है। इस आलेख में यह दर्शाया गया है कि शिक्षकों के बीच संवर्गीय और आर्थिक विभेद समाज में व्य...

मजदूर दिवस : इतिहास और कार्यभार

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श्रमिकों के शोषण का जितना अमानवीय और विविध आयामी स्वरूप आज दिखाई पड़ता है, उतना इतिहास के किसी पूर्व कालखंड में नहीं दिखायी पड़ा था। नीम पर करेला यह भी है कि...

भारत : प्रसन्नता की प्रतीक्षा (वर्ल्ड हैपीनेस रिपोर्ट 2023)

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एक जागरूक लोकतंत्र का रास्ता समाजवाद की ओर आगे ले जाता है और इसके लिए नागरिकों का जीवन-स्तर ऊपर उठाकर सुख और शांति का माहौल स्थापित करता है। लेकिन एक दिक्भ्र...

बजट 2023 : परिचय एवं समीक्षा

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बजट 2023 का परिचय एवं समीक्षा। ‘बजट अपने अपेक्षित लक्ष्यों को तभी प्राप्त करेगा जब वास्तविक व्यय अनुमानित व्यय के समान या उससे अधिक हो और राजकोषीय घाटे की रा...

बजट 2023 की नीयत पर संक्षिप्त टिप्पणी

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बजट 2023 पेश करते हुए वित्तमंत्री ने इसे आर्थिक लेखा-जोखा की प्रस्तुति के रूप में नहीं, बल्कि इस लहजे में प्रस्तुत किया है, जैसे वे इस बजट के द्वारा लोगों को...

विकास के बुलडोज़र के नीचे कराहता हुआ जोशीमठ

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विकास ज़रूरी है, परंतु अगर इसका रास्ता विनाश से होकर जाता है तो ऐसा विकास क्यों और किसके लिये? इसपर अगर समय रहते मंथन नहीं किया गया तो क्लाइमेट चेंज के क़हर ...

सांप्रदायिकता के ख़तरे एवं भारतीय संविधान

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हाल के दिनों में बहुसंख्यक सांप्रदायिक शक्तियों ने इस देश में सामाजिक विभाजन की जंग छेड़ रखी है। यह सत्ता-लोलुप राजनीतिक दल की शह पाकर हो रहा है। देश की सामा...

मालिक की भाषा में पढ़ाई

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आज हिंदी दिवस है। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा के द्वारा संविधान के भाग 17, अनुच्छेद 343(1) के में हिंदी को ‘राजभाषा’ का दर्जा दिया गया। फिर व्यौहार राजेंद...

हो गए पूरे 5 साल, जीएसटी से ख़स्ता हाल

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ग़रीबों के भोजन, शवदाहों और अस्पताल के कमरों तक पर जीएसटी लगाने के दो कारण हो सकते हैं। एक तो यह कि सरकार के पास पैसे का एकदम अभाव हो गया है और वह अब आय के न...

सत्ता और सत्य की कृत्रिमता के अंर्तसंबध

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मानवता का पुरुषार्थी अधिवक्ता जीवन की दारुणता से मुक्ति की कामना अर्थात् मृत्यु की इच्छा प्रस्तुत नहीं करते। किसी भी क्षेत्र में वस्तुस्थिति पत्थर की लकीर नह...

क्या हमारे बच्चे साक्षर होंगे? क्या वे गरिमा के साथ अपना जीवन जी सकेंगे?

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जून, 2022 में संयुक्त राष्ट्रसंघ के द्वारा प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक़ दुनिया में 2016 में शिक्षा के संकट का सामना करने वाले बच्चों की संख्या 7.5 करोड़ से बढ...

भारतीय इतिहास और आजादी की लड़ाई से जुड़े कुछ सवाल

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आज़ादी के 75वें वर्ष में, जब देश को ‘अमृत महोत्सव’ के नाम पर तिरंगा टाँगने में लगा दिया गया है, हमें विभिन्न संगठनों, राजनीतिक दलों और व्यक्तियों की उस समय...

नामांकन के पहले पायदान पर दम तोड़ती बालिका शिक्षा

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बिहार में आठवीं कक्षा के बाद लगभग ढाई लाख लड़कियाँ हर साल पढ़ाई छोड़ देती हैं। सरकार ने इस छीजन को रोकने के लिए आदेश पारित किया है। लेकिन उस आदेश में छीजन के का...

साम्प्रदायिक उभारों के दौर में जारी फासिस्ट बुल्डोजर संस्कृति

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क्या हम सभी इन ऐतिहासिक तथ्यों से अवगत नहीं हैं कि भारत में आर्यों के आगमन के बाद जनजातियों पर कहर बरपाया गया था, दबे-कुचले समुदायों के लोगों पर सवर्णों द्वा...

शिक्षा का सामाजिक एवं समाज का शैक्षिक परिप्रेक्ष्य

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शिक्षा एक समाज-सापेक्ष क्रिया है। शिक्षा का ताना-बाना देश और काल के अनुसार सामाजिक एवं राष्ट्रीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु नवयुवकों की तैयारी करने के लिए बुन...

मार्क्सवादी नजरिए से रूस-यूक्रेन युद्ध की पड़ताल

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एक मार्क्सवादी से यह अपेक्षा की जाती है कि वह तमाम राष्ट्रों एवं देशों की स्वतंत्रता एवं संप्रभुता की हिमायत करे। यदि पूरी दुनिया में संयुक्त राज्य अमेरिका क...

जारी है स्त्री विमर्श की यात्रा

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परिवार, शिक्षा प्रणाली, राज्य-कानून, धर्म, कलाएँ, मिडिया आदि ये सारी सामाजिक संस्थाएँ हमारे समाज में औरत बनाने का काम करती हैं- मादा को स्त्री बनाती हैं। सर्...

‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म के बहाने जम्मू-कश्मीर के बारे में चंद बातें

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हमें यह बात शिद्दत से महसूस करने में चाहे जितनी दिक्कत हो, परन्तु सच यही है कि हमने कश्मीरी अवाम को भावनात्मक रूप से अपने देश से दूर कर दिया है और संगीनों के...

शिक्षा और रोजगार : नई संरचना और निहितार्थ

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विडम्बना यह भी है घोषित रूप से पूँजीवादी कहे जाने वाले देश भी जहाँ अनिवार्य रूप से प्रारम्भिक से माध्यमिक स्तर तक अपने सभी बच्चों को समान एवं मुफ्त शिक्षा प्...

बजट 2022 के स्ट्रेचर पर शिक्षा का परीक्षण

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के संबंध में बड़े-बड़े सपने दिखाये गए हैं और विश्वास दिलाया गया है कि यह नीति देश को ‘विश्वगुरु’ बनाने का रोडमैप है। लेकि...

किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि में बजट की पड़ताल

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बजट 2022 में निरस्त हुए कृषि क़ानूनों की तरह ही कृषि भूमि पर कंपनियों के कब्जे का रास्ता बनाया गया है और न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त करने का पथ प्रशस्त किय...

पुरुषत्ववाद की बेड़ियों में कसमसाती बेटियाँ

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पौरुषवादी प्रवृत्ति उस पितृसत्तात्मक प्रवृत्ति से बिलकुल भिन्न है, जिसमें भी लड़कियों को दबाकर और दोयम दर्जे का बनाकर रखा जाता था। पितृसत्तात्मक सोच के मूल मे...

Capital, Technology and Human Destiny

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One has to choose, the homo-sapiens have to choose, whether to arrest our indiscreet advancement towards this overpowering technology avoiding falling into i...

पूंजी, प्रौद्योगिकी और मानव नियति!

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होमो-सैपिएन्स को तय करना होगा, कि हम स्वयं अपने पर शासन करने की ओर अभिमुख तकनीकि और उसके जादुई जाल के अविवेकपूर्ण विकास को रोकना चाहेंगे और अपने कदमों को पीछ...

भूख और शिक्षा को संबोधित करती सबसे सफल योजना के बंद होने की परवाह

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अभिवंचितों के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने वाली सबसे कामयाब मध्याह्न भोजन योजना को अब बंद कर दिया है। उसके स्थान पर प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना 2021 क...

अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस : एक नजर

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अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 2021 को मनाने का उद्देश्य यही है कि दुनिया लड़कियों की आवश्यकताओं और चुनौतियों पर ध्यान दे, उसपर विचार करे और उनका समाधान करे। यह...

भारतीय संदर्भ में नई तालीम का प्राणालिक औचित्य

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यदि भारत को शिक्षा का सिरमौर होना है, बेरोजगारी की समस्या को दूर करना है, उत्पादन में बढ़ोत्तरी करनी है, गाँवों का विकास करना है और समाज में नैतिकता का वर्चस्...

शिक्षा की भाषा: विश्व बैंक नीति सोच पत्र

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प्रो. जोगा सिंह देश के उन चुनिंदा शिक्षाविदों में शीर्षस्थ हैं, जो बाल्यावस्था की शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा के उपयोग की पैरवी का अभियान चलाते हैं।...

तालिबानी आतंक दे रहा विश्व शांति को चुनौती

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आज फिर तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। लेकिन पूरी दुनियाँ चुप है।ये खामोशी, ये चुप्पी दुनियाँ को शायद बहुत मंहगी पड़ेगी। धर्म के नाम पर आतंक का खु...

शिक्षा नीति में शिक्षक के हितों की पड़ताल

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यह शिक्षा नीति शिक्षकों के ‘प्राचीन सम्मान’ को लौटाने का वाचिक आश्वासन भले ही देती हो, शिक्षकों से एक स्पंदनशील शैक्षिक वातावरण के निर्माण की अपेक्षा भले ही ...

भारतीय लोकतन्त्र की वर्तमान चुनौतियाँ

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एक ‘लोकतान्त्रिक गणराज्य’ के रूप में जिन पायों पर इस देश को खड़ा किया गया था, वे पाये कमजोर हो गए हैं। चूँकि यह लोकतन्त्र ‘लोक’ के लिए है, इसलिए यह ‘लोक’ (जनत...

Recent Challenges in Indian Democracy

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The pillars of ‘Democratic Republic’, on which the nation stood are weakened. The democracy is for the people therefore it is responsibility of people to giv...

महँगाई से जनता परेशान: कब जागेगी सरकार

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सरकार को ऐसी नीतियाँ बनानी होंगी, जिनसे आम आदमी को फायदा हो। उन्हें रोजी, रोटी और रोजगार मुहैया कराना सरकार का काम है मगर वर्तमान सरकार की ढुलमुल नीतियों की ...

शिक्षा की राजनीतिक आर्थिकी

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कार्यालयी और औद्योगिक व्यवहारों को अब जितने शिक्षितों की आवश्यकता है, उसकी पूर्ति 15 प्रतिशत लोगों को शिक्षित करके की जा सकती है। इसलिए ज़ाहिर है कि नई शैक्ष...

Political economy of education

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Requirement of educated persons in Official and Industrial establishments can be matched by educating 15 percent persons. This implies that the new education...

किसान आंदोलन और लाभकारी मूल्य का सवाल

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देश के लगभग 90 प्रतिशत किसान एक हेक्टेयर से कम जोत वाले किसान हैं। वे इतना नहीं उपजा पाते हैं, जिसे बाजार में बेचकर लाभकारी मूल्य प्राप्त कर सकें। इसलिए लाभक...

Farmer agitation and issue of remunerative price

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About 90 percent farmers of the country have their holding size of less than one hectare. They do not produce so much, which can be sold in market for a prof...

बीमार व्यवस्था का आँकड़ों से इलाज

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सरकार तस्वीर को बदलने की नहीं, बल्कि तस्वीर पर से ध्यान हटाने की योजना पर काम करती है। इसलिए उसे तथ्यों को गढ़कर पेश करने की जरूरत पड़ती है। बीमार को इलाज की ...

Curing sick system with data

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Government works on agenda of diverting attention from the picture rather than changing it. Hence, presentable data needs manipulation. Sick person does not ...

बालश्रम की राजनीतिक आर्थिकी और बिहार

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निजी मुनाफे पर आधारित पूँजीवाद और राजनीतिक सत्ता का अपवित्र गठबंधन बाल श्रम को कायम रखता है। जब तक पूँजीवादी शक्तियों के मुक़ाबले सामाजिक शक्तियाँ अपनी अधिक म...

कोरोना 2 : राम भरोसे लोग

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मार्च 2021 आते-आते भारत में संक्रमण की संख्या फिर से बढ्ने लगी और देखते-ही-देखते यह संख्या चार लाख प्रतिदिन के पार कर गई। अस्पतालों में पैर रखने तक की जगह नह...

सामाजिक क्रांति एवं बदलाव का द्योतक हिंदी समाचार पत्र

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आज पत्रकारिता पूंजी और सत्ता के गठजोड़ की गुलाम बनकर चैनलों की नृत्यशाला में चटोरे पत्रकारों के तबले की थाप पर थिरक रही है। उसमें न तो अपने पूर्वजों का गौरव-ब...

बजट के स्ट्रेचर पर शिक्षा का परीक्षण

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वर्ष 2021-22 का बजट विशेष परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में प्रस्तुत किया गया था। इस बार का बजट कोविद 19 महामारी के चलते हुए दौर में और लंबी बंदी के कारण जन जीवन...

ऐसे ही रहेंगी बेटियाँ तो कैसे बढ़ेंगी बेटियाँ?

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अपने देश की महिलाओं की ओर एक बार घूम कर देख लेना वाजिब है। बात महिला दिवस की है, इसलिए यह देख लेना भी जरूरी है कि किस तर...

भारतीय भाषा नीति 2020 पर टिप्पणियाँ

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राशिनी-पत्र आधारभूत स्तर की शिक्षा मातृभाषा में होने के लाभ तो बताता है, पर साथ ही “जहाँ संभव हो” का फन्दा टाँग देता है। हम जानते ही हैं कि 1947 से लेकर अब त...

बजट 2021 : आवश्यकताओं की कसौटी पर

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अप्रैल महीने से वित्त वर्ष शुरू होने के पहले हर साल सरकार के द्वारा आगामी वर्ष के खर्च की रूपरेखा प्रस्तुत की जाती है। इसे ही बजट कहते हैं। खर्च की यह रूपरेख...

बुझता हुआ चिराग है संविधान की प्रस्तावना

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जिस उदात्त सोच के साथ इस देश की संवैधानिक बुनियाद रखी गई थी, समय बीतने के साथ ही लगातार वह जर्जर होती गई। और, अब तो यकीन करना भी मुश्किल है कि यह वही देश है,...

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : परिचय एवं समीक्षा (स्कूल शिक्षा)

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यह कैबिनेट द्वारा स्वीकृत है, संसद द्वारा नहीं। अर्थात एक पार्टी की शिक्षा नीति है।…यह शिक्षा नीति अनौपचारिकता, सांप्रदायिकता, केन्द्रीयता और निजीकरण की बढ़ोत...

भारतीय किसान विद्रोह और ग्वाटेमाला की भूख

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दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर किसान केवल इसलिए नहीं आंदोलनरत हैं कि उनकी अस्मिता ख़तरे में है। अस्मिता तो ख़तरे में है ही। बल्कि वे इसलिए भी लड़ रहे हैं ताकि इस ...

कोरोना १: जनता केवल एक वोटर है

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कोरोना आज विश्व की एकमात्र और सबसे बड़ी समस्या है। दुनिया में आज न तो सेंसेक्स का उतार-चढ़ाव सनसनी पैदा करता है, न जीडीपी बढ़ाने की होड़ है, न घटते जलस्तर की...

शिक्षा नीति 2020 और सामाजिक विभेद

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नीति राजसत्ता की वह परिकल्पना होती है, जो यह दिखाती है कि व्यवस्था को किन रास्तों से होकर कहाँ तक ले जाना है। इसकी भूमिका दिशा-निर्देशक की होती है। राज्य नीत...

चेतना-निर्माण की राजनीतिक आर्थिकी

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मानव-सभ्यता का यह स्वभाव रहा है कि वह आगे की ओर गति करती रही है। लाखों वर्षों के जद्दोजहद के बाद लगभग 500 साल पहले मानव-जाति जब वैज्ञानिक क्रांति के नए युग म...

आतंकवाद की जंग हम हार रहे हैं

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अभी हाल ही में 14 फरवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में CRPF के जवानों पर विस्फोटक हमले में 40 से अधिक जवानों के मारे जाने के बाद एक बार फिर आतंकवाद के ...

भारत में बढती असमानता पर ऑक्सफेम की रिपोर्ट

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अन्य वर्षों की भाँति इस वर्ष भी 22 जनवरी से 25 जनवरी, 2019 तक धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले स्वीटजरर्लैंड के दाओस शहर में वर्ल्ड इकनोमिक फोरम के बैनर तले दुनि...

स्वच्छता के अभियान की हकीकत

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हम एक पतनशील व्यवस्था में जीने को अभिशप्त हैं. विश्वास और मानकता के जितने सारे प्रतिमान थे, वे धीरे-धीरे अविश्वसनीय और अप्रामाणिक होते जा रहे हैं. साधारण तौर...

धार्मिक दंतकथाओं की कुहेलिका में खोती जाती वैज्ञानिक बहस

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पहले तो राजनेता ही कबीलाई दंत कथाओं को वैज्ञानिक विकास बताकर ऐसी बात बोलते थे कि प्राचीन भारत में सर्जरी इतनी उन्नत थी कि आदमी के सिर पर हाथी का सिर लगा दिया...

लोकसभा में उपलब्ध कराई गई जानकारी ऐसी भी होती है

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शिक्षा में अभिरुचि रखने वाले हर शख्स के लिए यह जानना दिलचस्प होगा कि लोकसभा के अतारांकित प्रश्न संख्या 1094 के उत्तर में दिनांक 17 दिसंबर, 2018 को शिक्षा राज...

लोकतंत्र, पुलिस और हम (लोकतंत्र की शव-परीक्षा - 1)

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आज दुनिया के सारे अहम् देशों में लोकतंत्रात्मक शासन-प्रणाली कायम है. लोकतंत्र की जो सबसे प्रसिद्द परिभाषा है, उसके अनुसार यह ‘जनता का, जनता के लिए और जनता के...

उच्च शिक्षा के ताबूत में एक और कील

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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के अनेक अनुदान बंद कर दिए हैं. विश्वविद्यालयों को बंद किये जाने वाले सात अनुदान हैं – स्वच्छ भा...

निजी विद्यालयों की लूट पर लगाम लगाने का माँगपत्र

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साथियो, हममें से कोई असहमत नहीं होगा कि शिक्षा उन्नत जीवन और प्रगतिशल समाज के लिए प्राथमिक आवश्यकता है। समुचित शिक्षा प्राप्त व्यक्ति ही खुद बेहतर जीवन जीने ...

आम बजट 2018 : किसके लिए?

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पिछले साल की तरह इस साल 2018 में भी 1 फरवरी को 2018-19 के लिए आम बजट पेश किया गया. 24.42 लाख करोड़ का यह बजट पेश होने के पहले देश के तमाम तबकों ने इस अंतिम पू...

सोवियत क्रांति के सौ वर्ष

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साल 2017 सोवियत क्रांति का सौवाँ वर्ष है। पूरे विश्व की कम्युनिस्ट पार्टियाँ और उसी तरह भारत की भी कम्युनिस्ट पार्टियाँ ‘महान सोवियत क्रांति’ का शताब्दी वर्ष...

सामाजिक न्याय के अस्पताल में शिक्षा की शव-परीक्षा

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‘सामाजिक न्याय’, ‘सबका साथ, सबका विकास’ आदि आजकल बास्केट बॉल खेल की गेंद की तरह हर राजनीतिज्ञ के हाथ में उछलता हुआ जुमला है और हर दल इस गेंद को अपने पाले में...

दंगों की राजनीतिक आर्थिकी

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इस साल रामनवमी के अवसर पर बिहार के कई जिलों में सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न करने की कोशिश हुई। इन तनावों को दंगा नहीं कहा जा सकता है। सांप्रदायिक दंगे का अर्थ ह...

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अंधेरा कायम है

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बहुत पुराने जमाने की बात है। चारों ओर ऊँचे-ऊँचे पहाड़ थे, दूर-दूर तक फैला हुआ सघन जंगल था और उस जंगल में मारकर खा जाने वाले तथा मरकर खाये जाने वाले जानवरों की...

इलाज

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गाँव से आए भोले-भाले माधो को अस्पताल में अपने-आप विकसित हो गए इस व्यवसाय-तंत्र का तो पता ही नहीं था। जाँच कराने में सहायता करने वाले जिस लड़के को, दवा की दूका...

जनतंत्र

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आत्मज्ञानी महात्मा लोक-विमुख होकर निर्जन में दोनों आँखें बंद करके परमात्म-ध्यान में लीन थे। तभी चरणों पर स्पर्श के साथ ‘त्राहि माम’ की आवाज ने उनका ध्यान भंग...

नारद-गूगल संवाद (पीएम केयर्स फंड)

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गूगल नारद के देशप्रेम से परिचित था। इसलिए उसे पक्का विश्वास था कि जवाब जानके नारद का माथा घूम जाएगा। इसलिए विनयपूर्वक उसने जवाब दिया — महाराज, इस पीएम केयर्स...

बताना मना है

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उच्च शिक्षा के वर्तमान परिदृश्य के अंतर्सत्य और प्रभाव को उदघाटित करने वाली संभवतः पहली कहानी।

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saahity

हिन्दी साहित्य में विद्यापति का स्थान

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यह आलेख हिन्दी साहित्य में विद्यापति के महत्व पर प्रकाश डालता है। वे एक ओर ‘वीरगाथकाल’ के सर्वाधिक प्रामाणिक कवि हैं, वहीं दूसरी ओर भक्तिकाल और शृंगारकाल के ...

सरोज स्मृति : समष्टि से व्यष्टि के पथ पर

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पराजय और अकेलेपन के बोध में पिता-पुत्री के बीच बेहद जीवनमय संबंध अपने लालित्य और तरुणाई के नैसर्गिक संगीत से भरा है। सरोज स्मृति कविता करुणा, व्यंग्य तथा दि...

हिंदी के स्वातंत्र्योत्तर उपन्यासों में मार्क्सवाद

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मार्क्सवादी उपन्यासों में वस्तु-तत्व की प्रमुखता के बावजूद रूप-तत्व की भी सापेक्षिक सक्रियता स्वीकृत हुई है। इन उपन्यासकारों ने कला-मूल्यों एवं जीवन-मूल्यों ...

कालिदास के ग्रंथों में प्रकृति और नारी की अन्योन्याश्रयता

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कवि-कुल शिरोमणि ‘कनिष्ठिकाधिष्ठित’ कालिदास संस्कृत वाङ्ग्मय के ही नहीं, भारतीय मनीषा के भी सर्वश्रेष्ठ निदर्शन हैं। वर्षा-काल में अनायास फूट पड़े निर्झरों की...

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marxist philosophy

भूत या चेतना की प्राथमिकता का सवाल

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भौतिक या भौतिक उत्पादन संबंधों में परिवर्तन जितना प्रत्यक्ष और द्रुत होता है, वहीं वैचारिक परिवर्तन अलक्ष्य और मंद होता है और उसे परिवर्तित होने में, कभी-कभी...

द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद क्या है?

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मार्क्सवाद की पूरी इमारत ‘द्वंद्वात्मक भौतिकवाद’ की नींव पर खड़ी है। इसलिए मार्क्सवाद को समझने के लिए ‘द्वंद्वात्मक भौतिकवाद’ को समझ लेना आवश्यक है, अन्यथा मा...

मार्क्सवादी इतिहास दृष्टि क्या है?

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मार्क्सवादी इतिहास-दृष्टि ने इतिहास-चिंतन को एक नया और पूर्व की दृष्टि से सर्वथा भिन्न आयाम प्रदान किया। द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद के सिद्धान्त के आधार पर विकसि...

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dalaan

धार्मिक बयानों की कुहेलिका और राजनीतिक कर्तव्य

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लोकतंत्र की अवधारणा इस तरह यह गढ़ी गयी है कि सत्ता और उसकी मशीनरी नागरिक हितों की पूर्ति के लिए होती हैं। परंतु व्यवहार में ऐसा नहीं होता है। राज्य के कर्मचा...

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